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लेखनी प्रतियोगिता -05-May-2022

देह का हर कण समर्पित

जन्म का हर क्षण समर्पित
इस धरा से उस गगन तक
मैं तुम्हारा साथ दूंगी
मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ,
तुम्हारी ही रहूंगी।

क्यों दुखित हो
मैं तुम्हारे साथ हूँ
क्यों चकित हो
मैं तुम्हारे साथ हूँ
तप की मूरत, 
प्रार्थना की शक्ति बनकर
हर जगह 
पर मैं तुम्हारे साथ हूँ
हरदम तुम्हारी हूँ यही हरदम कहूंगी
मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ,
तुम्हारी ही रहूंगी

जो थकोगे तुम 
तो मैं सेवा करूंगी
जब चलोगे
राह में छाया बनूंगी
जब अंधेरों से
उलझकर रुक पड़ोगे
प्रेरणा का दीप
बनकर मैं जलूँगी

इस समर्पित आत्मा का आसरा हो
आत्मा तुमपर निछावर भी करूंगी
मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ,
तुम्हारी ही रहूंगी

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26 Comments

Neelam josi

07-May-2022 06:46 PM

बहुत खूब

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Anshumandwivedi426

07-May-2022 09:55 PM

कोटि कोटि धन्यवाद

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Haaya meer

06-May-2022 05:34 PM

👌👌

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Anshumandwivedi426

06-May-2022 09:36 PM

सहृदय धन्यवाद

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Muskan khan

06-May-2022 05:15 PM

Very nice

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Anshumandwivedi426

06-May-2022 09:36 PM

सहृदय धन्यवाद

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